चाँदी का कटोरा(silver bowl) - YISHU KA SANDESH

चाँदी का कटोरा(silver bowl)

चाँदी का कटोरा:-

                       1 तब उसने अपने घर के अधिकारी को आज्ञा दी, इन मनुष्यों के बोरों में जितनी भोजनवस्तु समा सके उतनी भर दे, और एक एक जन के रुपये को उसके बोरे के मुँह पर रख दे । 2 और मेरा चाँदी का कटोरा छोटे के बोरे के मुँह पर उसके अन्न के रुपये के साथ रख दे ।' यूसुफ की इस आज्ञा के अनुसार उसने किया । 3 भोर होते ही वे मनुष्य अपने गदहों समेत विदा किए गए । 4 वे नगर से निकले ही थे और दूर न जाने पाए थे कि यूसुफ ने अपने घर के अधिकारी से कहा, "उन मनुष्यों का पीछा कर, और उनको पाकर उनसे कह, 'तुम ने भलाई के बदले बुराई क्यों की है ? 5 क्या यह वह वस्तु नहीं जिसमें मेरा स्वामी पीता है, और जिससे वह शकुन भी विचारा करता है? तुम ने यह जो किया है वह बुरा किया' ।" 6 तब उसने उन्हें जा पकड़ा, और ऐसी ही बातें उनसे कहीं । 7 उन्होंने उससे कहा, हमारे प्रभु तू ऐसी बातें क्यों कहता है ? ऐसा काम करना तेरे दासों से दूर रहे । 8 देख, जो रुपया हमारे बोरों के मुँह पर निकला था, जब हम ने उसको कनान देश से ले आकर तुझे लौटा दिया, तब भला, तेरे स्वामी के घर में से हम कोई चाँदी या सोने की वस्तु कैसे चुरा सकते हैं? 9 तेरे दासों में से जिस किसी के पास वह निकले, वह मार डाला जाए, और हम भी अपने उस प्रभु के दास हो जाएँ ।" 10 उसने कहा, “तुम्हारा ही कहना सही, जिसके पास वह निकले वह मेरा दास होगा, और तुम लोग निरपराध ठहरोगे ।" 11 इस पर वे जल्दी से अपने अपने बोरे को उतार भूमि पर रखकर उन्हें खोलने लगे । 


12 तब वह ढूँढ़ने लगा, और बड़े के बोरे से लेकर छोटे के बोरे तक खोज की; और कटोरा बिन्यामीन के बोरे में मिला । 13 तब उन्होंने अपने अपने वस्त्र फाड़े, और अपना अपना गदहा लादकर नगर को लौट गए। 14 जब यहूदा और उसके भाई यूसुफ के घर पर पहुँचे, और यूसुफ वहीं था, तब वे उसके सामने भूमि पर गिरे । 15 यूसुफ ने उन से कहा, "तुम लोगों ने यह कैसा काम किया है? क्या तुम न जानते थे, कि मुझ सा मनुष्य शकुन विचार सकता है ?” 16 यहूदा ने कहा, "हम लोग अपने प्रभु से क्या कहें? हम क्या कहकर अपने को निर्दोष ठहराएँ ? परमेश्वर ने तेरे दासों के अधर्म को पकड़ लिया है । हम, और जिसके पास कटोरा निकला वह भी, हम सब के सब अपने प्रभु के दास ही हैं ।" 17 उसने कहा, "ऐसा करना मुझ से दूर रहे, जिस जन के पास कटोरा निकला है वही मेरा दास होगा; और तुम लोग अपने पिता के पास कुशल क्षेम से चले जाओ ।"

    जय मसीह की  । || कविता पोरिया    

Read this also

परमेश्वर की ओर से अब्राम के बुलाए जाने का वर्णन:

इसहाक के जन्म की प्रतिज्ञा, सदोम आदि नगरों के विनाश का वर्णन


अब्राहम के परीक्षा में पड़ने का वर्णन, नाहोर के वंशज

सारा की मृत्यु और अन्तक्रिया का वर्णन

इसहाक के विवाह का वर्णन

इसहाक का गरार में निवास, इसहाक और अबीमेलेक के बीच सन्धि



याकूब की सन्तान

याकूब का मल्लयुद्ध, याकूब और एसाव का मिलन

दीना को भ्रष्ट किया जाना

बेतेल में याकूब को आशीष मिलना, राहेल की मृत्यु, याकूब के पुत्र, इसहाक की मृत्यु



बन्दियों के स्वप्नों का अर्थ बताना


बिन्यामीन के साथ मिस्त्र देश जाना







कोई टिप्पणी नहीं

If you have any doubt, please let me know.

कमजोरी ही शक्ति ।

कमजोरी ही शक्ति:- =================================                         वो बड़े इत्मीनान से गुरु के सामने खड़ा था । गुरु अपनी पारखी नजर ...

Blogger द्वारा संचालित.