बेतेल में याकूब को आशीष मिलना, राहेल की मृत्यु, याकूब के पुत्र, इसहाक की मृत्यु (Jacob's Blessing at Bethel, Rachel's Death, Jacob's Son, Isaac's Death)
बेतेल में याकूब को आशीष मिलना:-
1 तब परमेश्वर ने याकूब से कहा, "यहाँ से निकल कर बेतेल को जा, और वहीं रह, और वहाँ परमेश्वर के लिये वेदी बना, जिसने तुझे उस समय दर्शन दिया जब तू अपने भाई एसाव के डर से भागा जाता था ।" 2 तब याकूब ने अपने घराने से, और उन सबसे भी जो उसके संग थे कहा, “तुम्हारे बीच में जो पराए देवता हैं, उन्हें निकाल फेंको; और अपने अपने को शुद्ध करो, और अपने वस्त्र बदल डालो; 3 और आओ, हम यहाँ से निकल कर बेतेल को जाएँ: वहाँ मैं परमेश्वर के लिये एक वेदी बनाऊँगा, जिसने संकट के दिन मेरी सुन ली, और जिस मार्ग से मैं चलता था, उसमें मेरे संग रहा ।" 4 इसलिये जितने पराए देवता उनके पास थे, और जितने कुण्डल उनके कानों में थे, उन सभों को उन्होंने याकूब को दिया और उसने उनको उस बांज वृक्ष के नीचे, जो शकेम के पास है, गाड़ दिया । 5 तब उन्होंने कूच किया और उनके चारों ओर के नगर निवासियों के मन में परमेश्वर की ओर से ऐसा भय समा गया कि उन्होंने याकूब के पुत्रों का पीछा न किया । 6 याकूब उन सब समेत जो उसके संग थे, कनान देश के लूज नगर को आया । वह नगर बेतेल भी कहलाता है । 7 वहाँ उसने एक वेदी बनाई, और उस स्थान का नाम एलबेतेल रखा; क्योंकि जब वह अपने भाई के डर से भागा जाता था तब परमेश्वर उस पर वहीं प्रगट हुआ था । 8 और रिबका की दूध पिलानेहारी धाय दबोरा मर गई, और बेतेल के बांज वृक्ष के निचले भाग में उसको मिट्टी दी गई, और उस बांज वृक्ष का नाम अल्लोनबक्कृत रखा गया । 9 फिर याकूब के पहनराम से आने के पश्चात परमेश्वर ने दूसरी बार उसको दर्शन देकर आशीष दी । 10 और परमेश्वर ने उससे कहा, "अब तक तेरा नाम याकूब रहा है. पर आगे को तेरा नाम याकूब न रहेगा, तू इस्राएल कहलाएगा ।' इस प्रकार उसने उसका नाम इस्राएल रखा । 11 फिर परमेश्वर ने उससे कहा, "मैं सर्व शक्तिमान ईश्वर हूँ। तू फूले फले और बढ़े; और तुझ से एक जाति वरन् जातियों की एक मण्डली भी उत्पन्न होगी, और तेरे वंश में राजा उत्पन्न होंगे । 32 और जो देश में ने अब्राहम और इसहाक को दिया है, वही देश तुझे देता हूँ, और तेरे पीछे तेरे वंश को भी दूंगा।' 13 तब परमेश्वर उस स्थान में, जहाँ उसने याकूब से बातें कीं, उसके पास से ऊपर चढ़ गया । 14 और जिस स्थान में परमेश्वर ने याकूब से बातें कीं, वहाँ याकूब ने पत्थर का एक खम्भा खड़ा किया, और उस पर अर्घ देकर तेल डाल दिया । 15 जहाँ परमेश्वर ने याकूब से बातें की, उस स्थान का नाम उसने बेतेल रखा ।
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| बेतेल में याकूब को आशीष मिलना |
राहेल की मृत्यु:-
16 फिर उन्होंने बेतेल से कूच किया, और एप्राता थोड़ी ही दूर रह गया था कि राहेल को बच्चा जनने की बड़ी पीड़ा उठने लगी । 17 जब उसको बड़ी बड़ी पीड़ा उठती थी तब धाय ने उससे कहा, "मत डर, अब की भी तेरे बेटा ही होगा ।" 18 तब ऐसा हुआ कि वह मर गई, और प्राण निकलते निकलते उसने उस बेटे का नाम बेनोनी रखा, पर उसके पिता ने उसका नाम बिन्यामीन रखा । 19 यों राहेल मर गई, और एप्राता अर्थात् बैतलहम के मार्ग में, उसको मिट्टी दी गई । 20 याकूब ने उसकी कब्र पर एक खम्भा खड़ा किया राहेल की क़ब का वह खम्भा आज तक बना है । 21 फिर इस्त्राएल ने कूच किया, और एदेर नामक गुम्मट के आगे बढ़कर अपना तम्बू खड़ा किया ।
याकूब के पुत्र(1 इति 2:1.2):-
22 जब इस्राएल उस देश में बसा था, तब एक दिन ऐसा हुआ कि रूबेन ने जाकर अपने पिता की रखेली बिल्हा के साथ कुकर्म किया; और यह बात इस्राएल को गई । मालूम हो याकूब के बारह पुत्र हुए । 23 उन में से लिआ: के पुत्र ये थे; अर्थात् याकूब का जेठा रूबेन, फिर शिमोन, लेवी, यहूदा, इस्साकार, और जबूलून । 24 और राहेल के पुत्र ये थे; अर्थात् यूसुफ और बिन्यामीन । 25 और राहेल की दासी बिल्हा के पुत्र ये थे; अर्थात् दान और नप्ताली । 26 और लिआ की दासी जिल्पा के पुत्र ये थे : अर्थात् गाद, और आशेर । याक़ूब के ये ही पुत्र हुए, जो ये उससे पूछनयम में उत्पन्न हुए ।
इसहाक की मृत्यु:-
27 याकूब मम्रे में, जो करियतअर्बा अर्थात् हेब्रोन है, जहाँ अब्राहम और इसहाक परदेशी हो कर रहे थे, अपने पिता इसहाक के पास आया । 28 इसहाक की आयु एक सौ अस्सी वर्ष की हुई। 29 और इसहाक का प्राण छूट गया और वह मर गया, और वह बूढ़ा और पूरी आयु का होकर अपने लोगों में जा मिला; और उसके पुत्र एसाव और याक़ूब ने उसको मिट्टी दी ।
इसहाक के जन्म की प्रतिज्ञा, सदोम आदि नगरों के विनाश का वर्णन
अब्राहम के परीक्षा में पड़ने का वर्णन, नाहोर के वंशज
सारा की मृत्यु और अन्तक्रिया का वर्णन
इसहाक का गरार में निवास, इसहाक और अबीमेलेक के बीच सन्धि
याकूब का मल्लयुद्ध, याकूब और एसाव का मिलन
बेतेल में याकूब को आशीष मिलना, राहेल की मृत्यु, याकूब के पुत्र, इसहाक की मृत्यु


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