परमेश्वर की ओर से अब्राम के बुलाए जाने का वर्णन, मलिकिसिदक का अब्राम को आशीष देना, अब्राम के साथ यहोवा के वाचा बाँधने का वर्णन (Description of God's calling of Abram, Melchizedek's blessing to Abram, Description of Jehovah's covenant with Abram)
परमेश्वर की ओर से अब्राम के बुलाए जाने का वर्णन:-
यहोवा ने अब्राम से कहा, "अपने देश, 12 और अपने कुटुम्बियों, और अपने पिता के घर को छोड़कर उस देश में चला जा जो मैं तुझे दिखाऊँगा ।* 2 और मैं तुझ से एक बड़ी जाति बनाऊँगा, और तुझे आशीष दूंगा, और तेरा नाम महान् करूंगा, और तू आशीष का मूल होगा । 3 जो तुझे आशीर्वाद दें, उन्हें मैं आशीष दूँगा; और जो तुझे कोसे, उसे मैं शाप दूंगा; और भूमण्डल के सारे कुल तेरे द्वारा आशीष पाएँगे । 4 यहोवा के इस वचन के अनुसार अब्राम चला, और लूत भी उसके संग चला; और जब अब्राम हारान देश से निकला उस समय वह पचहत्तर वर्ष का था । 5 इस प्रकार अब्राम अपनी पत्नी सारै, और अपने भतीजे लूत को, और जो धन उन्होंने इकट्ठा किया था, और जो प्राणी उन्होंने हारान में प्राप्त किए थे, सब को लेकर कनान देश में जाने को निकल चला और वे कनान देश में आ गए । 6 उस देश के बीच से जाते हुए अब्राम शकेम में, जहाँ मोरे का बांज वृक्ष है, पहुँचा । उस समय उस देश में कनानी लोग रहते थे । 7 तब यहोवा ने अब्राम को दर्शन देकर कहा, "यह देश मैं तेरे वंश को दूंगा ।” और को, और स्त्रियों को, और सब बन्दियों को लौटा ले आया ।
मलिकिसिदक का अब्राम को आशीष देना:-
17 जब वह कदोर्लाओमेर और उसके साथी राजाओं को जीतकर लौटा आता था तब सदोम का राजा शावे नामक तराई में, जो राजा की तराई भी कहलाती है, उससे भेंट करने के लिये आया । 18 तब शालेम का राजा मलिकिसिदक, जो परमप्रधान ईश्वर का याजक था, रोटी और दाखमधु ले आया । 19 और उसने अब्राम को यह आशीर्वाद दिया, "परमप्रधान ईश्वर की ओर से, जो आकाश और पृथ्वी का अधिकारी है, तू धन्य हो । 20 और धन्य है परमप्रधान ईश्वर, जिसने तेरे द्रोहियों को तेरे वश में कर दिया है ।" तब अब्राम ने उसको सब वस्तुओं का दशमांश दिया । 21 तब सदोम के राजा ने अब्राम से कहा, “प्राणियों को तो मुझे दे, और धन को अपने पास रख ।'' 22 अब्राम ने सदोम के राजा से कहा, "परमप्रधान ईश्वर यहोवा, जो आकाश और पृथ्वी का अधिकारी है, 23 उसकी मैं यह शपथ खाता हूँ, कि जो कुछ तेरा है उसमें से न तो मैं एक सूत, और न जूती का बन्धन, न कोई और वस्तु लूँगा कि तू ऐसा न कहने पाए कि अब्राम मेरे ही कारण धनी हुआ । 24 पर जो कुछ इन जवानों ने खा लिया है और उनका भाग, जो मेरे साथ गए थे अर्थात् आनेर, एश्कोल, और मम्रे, मैं नहीं लौटाऊँगा, वे तो अपना अपना भाग रख लें ।”
अब्राम के साथ यहोवा के वाचा बाँधने का वर्णन:-
15 इन बातों के पश्चात् यहोवा का यह वचन दर्शन में अब्राम के पास पहुँचा: “हे अब्राम, मत डर; तेरी ढाल और तेरा अत्यन्त बड़ा प्रतिफल मैं हूँ ।” 2 अब्राम ने कहा, “हे प्रभु यहोवा, मैं तो निर्वंश हूँ, और मेरे घर का वारिस यह दमिश्कवासी एलीएजेर होगा, अतः तू मुझे क्या देगा ?" 3 और अब्राम ने कहा, "मुझे तो तू ने वंश नहीं दिया, और क्या देखता हूँ कि मेरे घर में उत्पन्न हुआ एक जन मेरा वारिस होगा ।" 4 तब यहोवा का यह वचन उसके पास पहुँचा, "यह तेरा वारिस न होगा, तेरा जो निज पुत्र होगा, वही तेरा वारिस होगा ।" 5 और उसने उसको बाहर ले जा के कहा, “आकाश की ओर दृष्टि करके तारागण को गिन, क्या तू उनको गिन सकता है ?" फिर उसने उससे कहा, "तेरा वंश ऐसा ही होगा ।" 6 उसने यहोवा पर विश्वास किया; और यहोवा ने इस बात को उसके लेखे में धर्म गिना 7 तब उसने उससे कहा, "मैं वही यहोवा हूँ जो तुझे कसदियों के ऊर नगर से बाहर ले आया, कि तुझ को इस देश का अधिकार दूँ ।" 8 उसने कहा, "हे प्रभु यहोवा, मैं कैसे जानूँ कि मैं इसका अधिकारी हूँगा ?" 9 यहोवा ने उससे कहा, "मेरे लिये तीन वर्ष की एक कलोर, और तीन वर्ष की एक बकरी, और तीन वर्ष का एक मेढ़ा, और एक पिण्डुक और कबूतर का एक बच्चा ले ।" 10 इन सभों को लेकर उसने बीच से दो टुकड़े कर दिया, और टुकड़ों को आमने सामने रखा; पर चिड़ियों के उसने टुकड़े नहीं किए । 11 जब मांसाहारी पक्षी लोथों पर झपटे, तब अब्राम ने उन्हें उड़ा दिया । 12 जब सूर्य अस्त होने लगा, तब अब्राम को भारी नींद आई; और देखो, अत्यन्त भय और महा अन्धकार ने उसे छा लिया । 13 तब यहोवा ने अब्राम से कहा, "यह निश्चय जान कि तेरे वंश पराए देश में परदेशी होकर रहेंगे, और उस देश के लोगों के दास हो जाएँगे; और वे उनको चार सौ वर्ष तक दुःख देंगे ।" 14 फिर जिस देश के वे दास होंगे उसको मैं दण्ड दूँगा और उसके पश्चात् वे बड़ा धन वहाँ से लेकर निकल आएँगे । 15 तू तो अपने पितरों में कुशल के साथ मिल जाएगा; तुझे पूरे बुढ़ापे में मिट्टी दी जाएगी । 16 पर वे चौथी पीढ़ी में यहाँ फिर आएँगे : क्योंकि अब तक एमोरियों का अधर्म है। क पूरा नहीं हुआ है ।” 17 और ऐसा हुआ कि जब सूर्य अस्त हो गया और घोर अन्धकार छा गया, तब एक अंगीठी जिसमें से धूआँ उठता था और एक जलती हुई मशाल दिखाई दी जो उन टुकड़ों के बीच में से होकर निकल गई । 18 इसी दिन यहोवा ने अब्राम के साथ यह वाचा बाँधी, "मिस्र के महानद से लेकर परात नामक बड़े नद तक जितना देश है, 19 अर्थात् केनियों, कनिज्जियों, कदमोनियों, 20 हित्तियों, परीज्जियों, रपाइयों, 21 एमोरियों, कनानियों, गिर्गाशियों और यबूसियों का देश मैं ने तेरे वंश को दिया है ।"


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