कुटकियों के झुण्ड, डांसों के झुण्ड, पशुओं की मौत(Herds of mites, flocks of dances, death of animals) - YISHU KA SANDESH

कुटकियों के झुण्ड, डांसों के झुण्ड, पशुओं की मौत(Herds of mites, flocks of dances, death of animals)

कुटकियों के झुण्ड:-

                           16 फिर यहोवा ने मूसा से कहा, "हारून को आज्ञा दे, 'तू अपनी लाठी बढ़ाकर भूमि की धूल पर मार, जिससे वह मिस्र देश भर में कुटकियाँ बन जाएँ ।' 17 और उन्होंने वैसा ही किया; अर्थात् हारून ने लाठी को ले हाथ बढ़ाकर भूमि की धूल पर मारा, तब मनुष्य और पशु दोनों पर कुटकियाँ हो गईं, वरन् सारे मिस्र देश में भूमि की धूल कुटकियाँ बन गईं । 18 तब जादूगरों ने चाहा कि अपने तंत्र मंत्रों के बल से हम भी कुटकियाँ ले आएँ, परन्तु यह उनसे न हो सका । इस प्रकार मनुष्यों और पशुओं दोनों पर कुटकियाँ बनी ही रहीं । 19 तब जादूगरों ने फिरौन से कहा, "यह तो परमेश्वर के हाथ का काम है ।" तौभी यहोवा के कहने के अनुसार फ़िरौन का मन कठोर होता गया, और उसने मूसा और हारून की बात न मानी ।


डांसों के झुण्ड:-

                           20 फिर यहोवा ने मूसा से कहा, "सबेरे उठकर फिरौन के सामने खड़ा होना यह तो जल की ओर आएगा, और उससे कहना, 'यहोवा तुझ से यह कहता है मेरी प्रजा के लोगों को जाने दे कि वे मेरी उपासना करें । 21 यदि तू मेरी प्रजा की न जाने देगा तो सुन, मैं तुझ पर और तेरे कर्मचारियों और तेरी प्रजा पर, और तेरे घरों में झुंड के झुंड डांस भेजूंगा; और मिस्रियों के घर और उनके रहने की भूमि भी डांसों से भर जाएगी । 22 उस दिन में गोशेन देश को जिसमें मेरी प्रजा रहती है अलग करूंगा, और उस में डांसों के झुंड न होंगे, जिससे तू जान ले कि पृथ्वी के बीच में ही यहोवा हूँ । 23 और मैं अपनी प्रजा और तेरी प्रजा में अन्तर ठहराऊंगा। यह चिह्न कल होगा ।" 24 और यहोवा ने वैसा ही किया, और फिरौन के भवन और उसके कर्मचारियों के घरों में, और सारे मित्र देश में डांसों के झुंड के झुंड भर गए, और डांसों के मारे वह देश नष्ट हुआ । 25 तब फिरौन ने मूसा और हारून को बुलवाकर कहा, "तुम जाकर अपने परमेश्वर के लिये इसी देश में बलिदान करो ।" 26 मूसा ने कहा, "ऐसा करना उचित नहीं, क्योंकि हम अपने परमेश्वर यहोवा के लिये मिस्त्रियों की घृणित वस्तु बलिदान करेंगे; और यदि हम मित्रियों के देखते उनकी घृणित वस्तु बलिदान करें तो क्या वे हम पर पथराव न करेंगे? 27 हम जंगल में तीन दिन के मार्ग पर जाकर अपने परमेश्वर यहोवा के लिये जैसा यह हम से कहेगा वैसा ही बलिदान करेंगे ।'' 28 फ़िरौन ने कहा, "मैं तुम को जंगल में जाने दूंगा कि तुम अपने परमेश्वर यहोवा के लिये जंगल में बलिदान करो; केवल बहुत दूर न जाना, और मेरे लिये विनती करो । 29 तब मूसा ने कहा, "सुन, मैं तेरे पास से बाहर जाकर यहोवा से विनती करूंगा कि डांसों के झुंड तेरे, और तेरे कर्मचारियों, और प्रजा के पास से कल ही दूर हों, पर फिरौन आगे को कपट करके हमें यहोवा के लिये बलिदान करने को जाने देने के लिये मना न करे ।” 30 अतः मूसा ने फ़िरौन के पास से बाहर जाकर यहोवा से विनती की । 31 और यहोवा ने पूसा के कहे के अनुसार डांसों के झुण्डों को फ़िरौन, और उसके कर्मचारियों, और उसकी प्रजा से दूर किया; यहाँ तक कि एक भी न रहा । 32 तब फिरौन ने इस बार भी अपने मन को कठोर किया, और उन लोगों को जाने न दिया । 

पशुओं की मौत:-

                             1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा, "फिरौन के पास जाकर कह, 'इब्रियों का परमेश्वर यहोवा तुझ से इस प्रकार कहता है : मेरी प्रजा के लोगों को जाने दे कि मेरी उपासना करें । 2 और यदि तू उन्हें जाने न दे और अब भी पकड़े रहे, 3 तो सुन, तेरे जो घोड़े, गदहे, ऊँट, गाय-बैल, भेड़ बकरी आदि पशु मैदान में हैं, उन पर यहोवा का हाथ ऐसा पड़ेगा कि बहुत भारी मरी होगी । 4 परन्तु यहोवा इस्राएलियों के पशुओं में और मिस्रियों के पशुओं में ऐसा अन्तर करेगा कि जो इस्राएलियों के हैं उनमें से कोई भी न मरेगा ।" 5 फिर यहोवा ने यह कहकर एक समय ठहराया, "मैं यह काम इस देश में कल करूंगा ।” 6 दूसरे दिन यहोवा ने ऐसा ही किया; और मिस्त्रियों के तो सब पशु मर गए, परन्तु इस्राएलियों का एक भी पशु न मरा । 7 और फ़िरौन ने लोगों को भेजा, पर इस्राएलियों के पशुओं में से एक भी नहीं मरा था । तौभी फ़िरौन का मन कठोर हो गया, और उसने उन लोगों को जाने न दिया ।

    जय मसीह की । || कविता पोरिया    

यह भी पढ़ें ।



बन्दियों के स्वप्नों का अर्थ बताना


बिन्यामीन के साथ मिस्त्र देश जाना



याकूब और उसका परिवार मिस्र में

याकूब का एप्रैम और मनश्शे को आशीर्वाद देना

याकूब की मृत्यु और गाड़ा जाना

मिस्र में इस्राएलियों की दुर्दशा

मूसा का जन्म, पूसा का मिद्यान देश भागना

परमेश्वर द्वारा पूसा का आह्वान ।

मूसा का अद्भुत सामर्थ्य पाना ।

मूसा का मित्र देश लौटना ।

फ़िरौन के सम्मुख मूसा और हारून, परमेश्वर से मूसा की शिकायत ।

मूसा का बुलाया जाना, मूसा और हारून की वंशावली ।

मूसा और हारून को परमेश्वर का आदेश, हारून की लाठी ।

मिस्त्रियों पर दस भारी विपत्तियों के पड़ने का वर्णन ।

कुटकियों के झुण्ड, डांसों के झुण्ड, पशुओं की मौत ।



कोई टिप्पणी नहीं

If you have any doubt, please let me know.

कमजोरी ही शक्ति ।

कमजोरी ही शक्ति:- =================================                         वो बड़े इत्मीनान से गुरु के सामने खड़ा था । गुरु अपनी पारखी नजर ...

Blogger द्वारा संचालित.