बिन्यामीन के लिए यहूदा का निवेदन (Judah's request to Benjamin) - YISHU KA SANDESH

बिन्यामीन के लिए यहूदा का निवेदन (Judah's request to Benjamin)

बिन्यामीन के लिए यहूदा का निवेदन:-

                          18 तब यहूदा उसके पास जाकर कहने लगा, “हे मेरे प्रभु, तेरे दास को अपने प्रभु से एक बात कहने की आज्ञा हो, और तेरा कोप तेरे दास पर न भड़के, क्योंकि तू तो फिरौन के तुल्य तू है । 19 मेरे प्रभु ने अपने दासों से पूछा था, 'क्या तुम्हारे पिता या भाई है ?' 20 और हम ने प्रभु से कहा, 'हाँ, हमारा बूढ़ा पिता है, और उसके बुढ़ापे का एक छोटा सा बालक भी है, परन्तु भाई मर गया है, इसलिये वह अब अपनी माता का अकेला ही रह गया है, और उसका पिता उससे स्नेह रखता है । 21 तब तू ने अपने दासों से कहा था, 'उसको मेरे पास ले आओ, जिससे मैं उसको देखूँ ।' 22 तब हम ने अपने प्रभु से कहा था, वह लड़का अपने पिता को नहीं छोड़ सकता, नहीं तो उसका पिता मर जाएगा 23 और तू ने अपने दासों से कहा, यदि तुम्हारा छोटा भाई तुम्हारे संग न आए, तो तुम मेरे सम्मुख फिरन आने पाओगे ।' 24 इसलिये जब हम अपने पिता तेरे दास के पास गए, तब हम ने उससे अपने प्रभु की बातें कहीं । 25 तब हमारे पिता ने कहा, फिर जाकर हमारे लिये थोड़ी सी भोजनवस्तु मोल ले आओ ।" 26 हम ने कहा, हम नहीं जा सकते, हाँ, यदि हमारा छोटा भाई हमारे संग रहे, तब हम जाएँगे, क्योंकि यदि हमारा छोटा भाई हमारे संग न रहे, तो हम उस पुरुष के सम्मुख न जाने पाएँगे ।" 27 तब तेरे दास मेरे पिता ने हम से कहा, तुम तो जानते हो कि मेरी स्त्री से दो पुत्र उत्पन्न हुए । 


28 और उनमें से एक तो मुझे छोड़ ही गया, और मैं ने निश्चय कर लिया कि वह फाड़ डाला गया होगा; और तब से मैं उसका मुँह न देख पाया । 29 अंतः यदि तुम इसको भी मेरी आँख की आड़ में ले जाओ, और कोई विपत्ति इस पर पड़े, तो तुम्हारे कारण मैं इस बुढ़ापे की अवस्था में शोक के साथ अधोलोक में उतर जाऊँगा । 30 इसलिये जब मैं अपने पिता तेरे दास के पास पहुँचूँ और यह लड़का संग न रहे, उसका प्राण जो इसी पर अटका रहता है, 31 इस कारण यह देखके कि लड़का नहीं है वह तुरन्त ही मरे जाएगा । तब तेरे दासों के कारण तेरा दास हमारा पिता, जो बुढ़ापे की अवस्था में है, शोक के साथ अधोलोक में उत्तर जाएगा । 32 फिर तेरा दास अपने पिता के यहाँ यह कहके इस लड़के का जामिन हुआ है, 'यदि मैं इसको तेरे पास न पहुँचा दूँ, तो मैं सदा के लिये तेरा अपराधी ठहरूँगा ।' 33 इसलिये अब तेरा दास इस लड़के के बदले अपने प्रभु को दास होकर रहने की आज्ञा पाए, और यह लड़का अपने भाइयों के संग जाने दिया जाए । 34 क्योंकि लड़के के बिना संग रहे मैं कैसे अपने पिता के पास जा सकूँगा; ऐसा न हो कि मेरे पिता पर जो दुःख पड़ेगा वह मुझे देखना पड़े ।

     जय मसीह की । || कविता पोरिया     

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