याकूब की लाबान से भेंट, राहेल और लिआ: के लिए सेवा (Jacob's Meeting with Laban, Service to Rachel and Leah)
याकूब की लाबान से भेंट:-
1 फिर याकूब ने अपना मार्ग लिया, और पूर्बियों के देश में आया । 2 उसने दृष्टि करके क्या देखा कि मैदान में एक कुआँ है, और उसके पास भेड़-बकरियों के तीन झुण्ड बैठे हुए हैं; क्योंकि जो पत्थर उस कुएँ के मुँह पर धरा रहता था, जिसमें से झुण्डों को जल पिलाया जाता था, वह भारी था । 3 और जब सब झुण्ड वहाँ इकट्ठा हो जाते तब चरवाहे उस पत्थर को कूएँ के मुँह पर से लुढ़काकर भेड़-बकरियों को पानी पिलाते, और फिर पत्थर को कुएँ के मुँह पर ज्यों का त्यों रख देते थे । 4 अतः याकूब ने चरवाहों से पूछा, “हे मेरे भाइयो, तुम कहाँ के हो ?"" उन्होंने कहा, “हम हारान के हैं । " 5 तब उसने उनसे पूछा, “क्या तुम नाहोर के पोते लाबान को जानते हो ?” उन्होंने कहा, "हाँ, हम उसे जानते हैं ।'' 6 फिर उसने उनसे पूछा, "क्या वह कुशल से है ?” उन्होंने कहा, "हाँ, कुशल से है और वह देख, उसकी बेटी राहेल भेड़-बकरियों को लिये हुए चली आती है ।" 7 उसने कहा, “देखो, अभी तो दिन बहुत है, पशुओं के इकट्ठे होने का समय नहीं; इसलिये भेड़-बकरियों को जल पिलाकर फिर ले जाकर चराओ ।" 8 उन्होंने कहा, "हम अभी ऐसा नहीं कर सकते, जब सब झुण्ड इकट्ठा होते हैं तब पत्थर कुएँ के मुँह पर से लुढ़काया जाता है, और तब हम भेड़-बकरियों को पानी पिलाते हैं ।"की 9 उनकी यह बातचीत हो ही रही थी कि राहेल, जो पशु चराया करती थी, अपने पिता की भेड़-बकरियों को लिये हुए आ गई । 10 याकूब ने अपने मामा लाबान की बेटी राहेल को, और उसकी भेड़-बकरियों को देखा तो निकट जाकर कुएँ के मुँह पर से पत्थर को लुढ़काया और अपने मामा लाबान की भेड़-बकरियों को पानी पिलाया । 11 तब याकूब ने राहेल को चूमा, और ऊँचे स्वर से रोया । 12 और याकूब ने राहेल को बता दिया कि मैं तेरा फुफेरा भाई हूँ, अर्थात् रिबका का पुत्र हूँ। तब उसने दौड़के अपने पिता से कह दिया। 13 अपने भानजे याकूब का समाचार पाते ही लाबान उससे भेंट करने को दौड़ा, और उसको गले लगाकर चूमा, फिर अपने घर ले आया । याकूब ने लाबान को अपना सब वृत्तान्त सुनाया । 14 तब लाबान ने याकूब से कहा, "तू तो सचमुच मेरी हड्डी और मांस है ।" और याकूब एक महीना भर उसके साथ रहा ।
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| याकूब की लाबान से भेंट |
राहेल और लिआ: के लिए सेवा:-
15 तब लाबान ने याकूब से कहा, "कुटुम्बी होने के कारण तुझ से मुफ्त में सेवा कराना मेरे लिए उचित नहीं है; इसलिये कह मैं तुझे सेवा के बदले क्या दूँ?" 16 लाबान की दो बेटियाँ थीं, जिनमें से बड़ी का नाम लिआ और छोटी का राहेल था। 17 लिआ के तो धुन्धली आँखें थीं, पर राहेल रूपवती और सुन्दर थी । 18 इसलिये याकूब ने, जो राहेल से प्रीति रखता था, कहा, "मैं तेरी छोटी बेटी राहेल के लिये सात वर्ष तेरी सेवा करूंगा ।' 19 लाबान ने कहा, "उसे पराए पुरुष को देने से तुझ को देना उत्तम होगा, इसलिये मेरे पास रह ।' 20 अतः याकूब ने राहेल के ने लिये सात वर्ष सेवा की और वे उसको राहेल की प्रीति के कारण थोड़े ही दिनों के बराबर जान पड़े । 21 तब याकूब ने लाबान से कहा, "मेरी पत्नी मुझे दे, और मैं उसके पास जाऊँगा, क्योंकि मेरा समय पूरा हो गया है ।" 22 अतः लाबान ने उस स्थान के सब मनुष्यों को बुलाकर इकट्ठा किया, और एक भोज दिया । 23 साँझ के समय वह अपनी बेटी लिआ को याकूब के पास ले गया, और वह उसके पास गया। 24 लाबान ने अपनी बेटी लिआ: को उसकी दासी होने के लिये अपनी दासी जिल्पा दी। 25 भोर को मालूम हुआ कि यह तो लिआ: है, इसलिये उसने लाबान से कहा, “यह तू ने मेरे साथ क्या किया है ? मैं ने तेरे साथ रहकर जो तेरी सेवा की, तो क्या राहेल के लिये नहीं की? फिर तू ने मुझ से क्यों ऐसा छल किया है ?” 26 लाबान ने कहा, "हमारे यहाँ ऐसी रीति नहीं कि बड़ी बेटी से पहले दूसरी का विवाह कर दें । 27 इसका सप्ताह तो पूरा कर; फिर दूसरी भी तुझे उस सेवा के लिये मिलेगी जो तू मेरे साथ रहकर और सात वर्ष तक करेगा ।" 28 याकूब ने ऐसा ही किया, और लिआ: के सप्ताह को पूरा किया; तब लाबान ने उसे अपनी बेटी राहेल भी दी कि वह उसकी पत्नी हो । 29 लाबान ने अपनी बेटी राहेल की दासी होने के लिये अपनी दासी बिल्हा को दिया । 30 तब याकूब राहेल के पास भी गया, और उसकी प्रीति लिआ: से अधिक उसी पर हुई; और उसने लाबान के साथ रहकर सात वर्ष और उसकी सेवा की ।
इसहाक के जन्म की प्रतिज्ञा, सदोम आदि नगरों के विनाश का वर्णन
अब्राहम के परीक्षा में पड़ने का वर्णन, नाहोर के वंशज
सारा की मृत्यु और अन्तक्रिया का वर्णन
इसहाक का गरार में निवास, इसहाक और अबीमेलेक के बीच सन्धि


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