मूसा का मित्र देश लौटना (Moses' return to the friendly country)
मूसा का मित्र देश लौटना:-
18 तब मूसा अपने ससुर यित्रो के पास लौटा और उससे कहा, “मुझे विदा कर कि मैं मिस्र में रहनेवाले अपने भाइयों के पास जाकर देखूँ कि वे अब तक जीवित हैं या नहीं ।" यित्रो ने कहा, “कुशल से जा ।" 19 और यहोवा ने मिद्यान ने देश में मूसा से कहा, "मिस्र को लौट जा; क्योंकि जो मनुष्य तेरे प्राण के प्यासे थे वे सब मर गए हैं ।" 20 तब मूसा अपनी पत्नी और बेटों को गदहे पर चढ़ाकर मिस्र देश की ओर परमेश्वर की उस लाठी को हाथ में लिये हुए लौटा । 21 तब यहोवा ने मूसा से कहा, "जब तू मिस्र में पहुँचे तब ध्यान रहे कि जो चमत्कार मैं ने तेरे वश में किए हैं उन सभों को फिरौन को दिखलाना, परन्तु मैं उसके मन को हठीला करूँगा, और वह मेरी प्रजा को जाने न देगा । 22 और तू फ़िरौन से कहना, 'यहोवा यों कहता है, कि इस्राएल मेरा पुत्र वरन् मेरा जेठा है, 23 और मैं जो तुझ से कह चुका हूँ कि मेरे पुत्र को जाने दे कि वह मेरी सेवा करे; और तू ने अब तक उसे जाने नहीं दिया, इस कारण मैं अब तेरे पुत्र वरन् तेरे जेठे को घात करूँगा" ।
24 तब ऐसा हुआ कि मार्ग पर सराय में यहोवा ने मूसा से भेंट करके उसे मार डालना चाहा । 25 तब सिप्पोरा ने एक तेज चकमक पत्थर लेकर अपने बेटे की खलड़ी को काट डाला, और मूसा के पाँवों पर यह कहकर फेंक दिया, "निश्चय तू मेरे लिए लहू बहानेवाला मेरा पति है ।" 26 तब यहोवा ने उसको छोड़ दिया । उस समय खतने के कारण वह बोली, "तू लहू बहानेवाला पति है ।" 27 तब यहोवा ने हारून से कहा, "मूसा से भेंट करने को जंगल में जा ।" वह गया और परमेश्वर के पर्वत पर उससे मिला और उसको चूमा । 28 तब मूसा ने हारून को यह बतलाया कि यहोवा ने क्या क्या बातें कहकर उसको भेजा है, और कौन-कौन से चिह्न दिखलाने की आज्ञा उसे दी है । 29 तब मूसा और हारून ने जाकर इस्राएलियों के सब पुरनियों को इकट्ठा किया । 30 और जितनी बातें यहोवा ने मूसा से कही थीं वह सब हारून ने उन्हें सुनाई, और लोगों के सामने वे चिह्न भी दिखलाए । 31 और लोगों ने उनका विश्वास किया, और यह सुनकर कि यहोवा ने इस्राएलियों की सुधि ली और उनके दुःखों पर दृष्टि की है, उन्होंने सिर झुकाकर दण्डवत् किया ।
इसहाक के जन्म की प्रतिज्ञा, सदोम आदि नगरों के विनाश का वर्णन
अब्राहम के परीक्षा में पड़ने का वर्णन, नाहोर के वंशज
सारा की मृत्यु और अन्तक्रिया का वर्णन
इसहाक का गरार में निवास, इसहाक और अबीमेलेक के बीच सन्धि
याकूब का मल्लयुद्ध, याकूब और एसाव का मिलन
बेतेल में याकूब को आशीष मिलना, राहेल की मृत्यु, याकूब के पुत्र, इसहाक की मृत्यु
बन्दियों के स्वप्नों का अर्थ बताना
बिन्यामीन के साथ मिस्त्र देश जाना
याकूब और उसका परिवार मिस्र में
याकूब का एप्रैम और मनश्शे को आशीर्वाद देना
मिस्र में इस्राएलियों की दुर्दशा
मूसा का जन्म, पूसा का मिद्यान देश भागना
परमेश्वर द्वारा पूसा का आह्वान ।
मूसा का अद्भुत सामर्थ्य पाना ।
फ़िरौन के सम्मुख मूसा और हारून, परमेश्वर से मूसा की शिकायत ।


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