फफोलों और फोड़ों का निकलना, ओलों की वर्षा (Blisters and boils, hail showers)
फफोलों और फोड़ों का निकलना:-
8 फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा, "तुम दोनों भट्ठी में से एक एक मुट्ठी राख ले लो, और मूसा उसे फिरौन के सामने आकाश की ओर उड़ा दे । 9 तब वह सूक्ष्म धूल होकर सारे मिस्र देश में मनुष्यों और पशुओं दोनों पर फफोले और फोड़े बन जाएगी ।" 10 इसलिये वे भट्ठी में की राख लेकर फिरौन के सामने खड़े हुए, और मूसा ने उसे आकाश की ओर उड़ा दिया, और वह मनुष्यों और पशुओं दोनों पर फफोले और फोड़े बन गई । 11 उन फोड़ों के कारण जादूगर मूसा के सामने खड़े न रह सके, क्योंकि वे फोड़े जैसे सब मिस्त्रियों के वैसे ही जादूगरों के भी निकले थे । 12 तब यहोवा ने फ़िरौन के मन को कठोर कर दिया, और जैसा यहोवा ने मूसा से कहा था, उसने उसकी न सुनी ।
ओलों की वर्षा:-
13 फिर यहोवा ने मूसा से कहा, उठकर फिरौन के सामने खड़ा हो, और उससे कह, 'इब्रियों का परमेश्वर यहोवा इस प्रकार कहता है: मेरी प्रजा के लोगों को जाने दे कि ये मेरी उपासना करें । 14 नहीं तो अब की बार मैं तुझ पर, और तेरे कर्मचारियों और तेरी प्रजा पर सब प्रकार की विपत्तियाँ डालूँगा, जिससे तू जान ले कि सारी पृथ्वी पर मेरे तुल्य कोई दूसरा नहीं है । 15 मैं ने तो अभी हाथ बढ़ाकर तुझे और तेरी प्रजा को मरी से मारा होता, और पृथ्वी पर से तेरा सत्यानाश हो गया होता; 16 परन्तु सचमुच मैं ने इसी कारण तुझे बनाए रखा है कि तुझे अपनी सामर्थ्य दिखाऊँ, और अपना नाम सारी पृथ्वी पर प्रसिद्ध करूँ । 17 क्या तू अब भी मेरी प्रजा के सामने अपने आप को बड़ा समझता है, और उन्हें जाने नहीं देता? 18 सुन, कल मैं इसी समय ऐसे भारी भारी ओले बरसाऊँगा, जिनके तुल्य मिस्र की नींव पड़ने के दिन से लेकर अब तक कभी नहीं पड़े । 19 इसलिये अब लोगों को भेजकर अपने पशुओं को और मैदान में जो कुछ तेरा है सब को फुर्ती से आड़ में छिपा ले; नहीं तो जितने मनुष्य या पशु मैदान में रहें और घर में इकट्ठा न किए जाएँ उन पर ओले गिरेंगे, और वे मर जाएँगे ।" 20 इसलिये फिरौन के कर्मचारियों में से जो लोग यहोवा के वचन का भय मानते थे उन्होंने अपने अपने सेवकों और पशुओं को घर में हाँक दिया । 21 पर जिन्होंने यहोवा के वचन पर मन न लगाया उन्होंने अपने सेवकों और पशुओं को मैदान में रहने दिया । 22 तब यहोवा ने मूसा से कहा, अपना हाथ आकाश की ओर बढ़ा कि सारे मिश्र देश के मनुष्यों, पशुओं, और खेतों की सारी उपज पर ओले गिरें' 23 तब मूसा ने अपनी लाठी को आकाश की ओर उठाया, और यहोवा की सामर्थ्य से मेघ गरजने और ओले बरसने लगे और आग पृथ्वी तक आती रही । इस प्रकार यहोवा ने मिस्र देश पर ओले बरसाए । 24 जो ओले गिरते थे उनके साथ आग भी मिली हुई थी, और ये ओले इतने भारी थे कि जब से मिस्र देश बसा था तब से मिस्र भर में ऐसे ओले कभी न गिरे थे।" न 25 इसलिये मिस्र भर के खेतों में क्या मनुष्य, क्या पशु, जितने थे सब ओलों से मारे गए, और ओलों से खेत की सारी उपज नष्ट हो गई, और मैदान के सब वृक्ष भी टूट गए। 26 केवल गोशेन प्रदेश में जहाँ इस्राएली बसते थे ओले नहीं गिरे । 27 तब फिरौन ने मूसा और हारून को बुलवा भेजा और उनसे कहा, "इस बार मैं ने पाप किया है; यहोवा धर्मी है, और मैं और मेरी प्रजा अधर्मी हैं । 28 मेघों का गरजना और ओलों का बरसना तो बहुत हो गया; अब यहोवा से विनती करो; तब मैं तुम लोगों को जाने दूंगा, और तुम न रोके जाओगे ।" 29 मूसा ने उससे कहा, "नगर से निकलते ही मैं यहोवा की ओर हाथ फैलाऊँगा, तब बादल का गरजना बन्द हो जाएगा और ओले फिर न गिरेंगे, इससे तू जान लेगा कि पृथ्वी यहोवा ही की है । 30 तौभी मैं जानता हूँ किन तो तू और न तेरे कर्मचारी यहोवा परमेश्वर का भय मानेंगे ।" 31 सन और जो तो ओलों से मारे गए, क्योंकि जाँ की बालें निकल चुकी थीं और सन में फूल लगे हुए थे । 32 पर गेहूँ और कठिया गेहूँ जो बढ़े न थे, इस कारण वे मारे न गए 33 जब मूसा ने फिरौन के पास से नगर के बाहर निकलकर यहोवा की ओर हाथ फैलाए, तब बादल का गरजना और ओलों का बरसना बन्द हुआ, और फिर बहुत मेंह भूमि पर न पड़ा । 34 परन्तु यह देखकर कि मेंह और ओलों और बादल का गरजना बन्द हो गया, फिरौन ने अपने कर्मचारियों समेत फिर अपने मन को कठोर करके पाप किया । 135 इस प्रकार फ़िरौन का मन हठीला होता गया, और उसने इस्राएलियों को जाने न दिया जैसा कि यहोवा ने मूसा के द्वारा कहलाया था ।
बन्दियों के स्वप्नों का अर्थ बताना
बिन्यामीन के साथ मिस्त्र देश जाना
याकूब और उसका परिवार मिस्र में
याकूब का एप्रैम और मनश्शे को आशीर्वाद देना
मिस्र में इस्राएलियों की दुर्दशा
मूसा का जन्म, पूसा का मिद्यान देश भागना
परमेश्वर द्वारा पूसा का आह्वान ।
मूसा का अद्भुत सामर्थ्य पाना ।
फ़िरौन के सम्मुख मूसा और हारून, परमेश्वर से मूसा की शिकायत ।
मूसा का बुलाया जाना, मूसा और हारून की वंशावली ।
मूसा और हारून को परमेश्वर का आदेश, हारून की लाठी ।
मिस्त्रियों पर दस भारी विपत्तियों के पड़ने का वर्णन ।
कुटकियों के झुण्ड, डांसों के झुण्ड, पशुओं की मौत ।


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