मिस्त्रियों पर दस भारी विपत्तियों के पड़ने का वर्णन (The description of ten heavy plagues on the Egyptians) - YISHU KA SANDESH

मिस्त्रियों पर दस भारी विपत्तियों के पड़ने का वर्णन (The description of ten heavy plagues on the Egyptians)

मिस्त्रियों पर दस भारी विपत्तियों के पड़ने का वर्णन:-

जल का लहू बनना:-

                            14 तब यहोवा ने मूसा से कहा, "फिरौन का मन कठोर हो गया है और वह इस प्रजा को जाने नहीं देता । 15 इसलिये सबेरे के समय फिरौन के पास जा, वह तो जल की ओर बाहर आएगा; और जो लाठी सर्प बन गई थी, उसको हाथ में लिए हुए नील नदी के तट पर उससे भेंट करने के लिये खड़ा रहना । 16 और उससे इस प्रकार कहना, 'इब्रियों के परमेश्वर यहोवा ने मुझे यह कहने के लिये तेरे पास भेजा है कि मेरी प्रजा के लोगों को जाने दे, जिससे वे जंगल में मेरी उपासना करें; और अब तक तू ने मेरा कहना नहीं माना । 17 यहोवा यों कहता है, इससे तू जान लेगा कि मैं ही परमेश्वर हूँ, देख, मैं अपने हाथ की लाठी को नील नदी के जल पर मारूँगा, और जल लहू बन जाएगा, 18 और जो मछलियाँ नील नदी में हैं वे मर जाएँगी, और नील नदी बसाने लगेगी, और नदी का पानी पीने के लिये मिस्त्रियों का जी न चाहेगा ।" 19 फिर यहोवा ने मूसा से कहा, "हारून से कह कि अपनी लाठी लेकर मिस्र देश में जितना जल है, अर्थात् उसकी नदियाँ, नहरें, झीलें, और पोखरे, सब के ऊपर अपना हाथ बढ़ा कि उनका जल लहू बन जाए और सारे मिस्र देश में काठ और पत्थर दोनों भाँति के जलपात्रों में लहू ही लहू हो जाएगा ।" 20 तब मूसा और हारून ने यहोवा की आज्ञा के अनुसार किया, अर्थात् उसने लाठी को उठाकर फ़िरौन और उसके कर्मचारियों के देखते नील नदी के जल पर मारा, और नदी का सब जल लहू बन गया । 21 और नील नदी में जो मछलियाँ थीं वे मर गई; और नदी से दुर्गन्ध आने लगी, और मिस्त्री लोग नदी का पानी न पी सके, और सारे मित्र देश में लहू हो गया । 22 तब मिस्र के जादूगरों ने भी अपने तंत्र मंत्रों से वैसा ही किया; तौभी फिरौन का मन हठीला हो गया, और यहोवा के कहने के अनुसार उसने मुसा और की न मानी । 28 फरीन ने इस पर भी ध्यान नहीं दिया, और मुँह फेर के अपने घर चला गया । 24 और सब मिस्री लोग पीने के जान के लिये नील नदी के आस पास खोदने लगे, क्योंकि मे नदी का जल नहीं पी सकते थे । 25 जब यहोवा ने नील नदी को मारा था तब से सात दिन हो चुके थे । 


मेंढकों का आक्रमण:-

                                1 तब यहोवा ने फिर मूसा से कहा, "फरी के पास जाकर कह, 'यहीबा तुझ से इस प्रकार कहता है: मेरी प्रजा के लोगों को जाने दे जिससे वे मेरी उपासना करें । 2 परन्तु दिन्हें जाने न देगा तो सुन, मैं मेंढक मेजकर और सार देश को हानि पहुँचानेवाला हूँ । 3 और नील नहीं मेंढकों से भर जाएगी, और वे तेरे भवन में, और तेरे बिछाने पर, और तेरे कर्मचारियों के घरों में, और तेरी प्रजा पर वरंतू तेरे तन्दूरों और कटौतियों में भी चढ़ जाएँगे; 4 और तुझ पर, और तेरी प्रजा और तेरे कर्मचारियों, सभी पर मैक द्र जाएँगे ।" 5 फिर यहोवा ने मुसा की आज्ञा दी, "शरूम से कह दे कि नदियों, नहरों, और झीलों के ऊपर लाठी के साथ अपना हाथ बढ़ाकर मैको को मित्र देश पर चढ़ा ले आए । 6 बहरून ने मिस्र के जलाशयों के ऊपर अपना हाथ बढ़ाया और मेंढकों ने मिस्र देश पर चढ़कर इसे छा लिया । 7 और जादूगर भी अपने तंत्र मंत्रों से उसी प्रकार मित्र देश पर पेंटक चढ़ा ले आए । 8 तब फिरौन ने मुख और हारून की बुलवाकर कहा, "यहोवा से विनती करो कि वह को को मुझ से और मेरी प्रजा से दूर करे और मैं इस्राएली लोगों को जाने दूंगा । जिससे वे यहोवा के लिये बलिदान करें 9 तब मूसा ने फिरीन से कहा, "इतनी बात के लिए तू मुझे आदेश दे कि अब में तेरे और तेरे कर्मचारियों और प्रजा के निमित्त कब विनती करूँ, कि यहोवा तेरे पास से और तेरे घरों में से मेंढकों को दूर करे, और वे केवल नील नदी में पाए जाएँ ?' 10 उसने कहा, “कल ।” उसने कहा, "तेरे वचन के अनुसार होगा, जिससे तुझे यह ज्ञात हो जाए कि हमारे परमेश्वर यहोवा के तुल्य कोई दूसरा नहीं है । 11 और मेंढक तेरे पास से और तेरे घरों में से और तेरे कर्मचारियों और प्रजा के पास से दूर होकर केवल नदी में रहेंगे।" 12 तब मूसा और हारून फिरौन के पास से निकल गए; और मूसा ने उन मेंढकों के विषय, यहोवा की दोहाई दी जो उसने फ़िरौन पर भेजे थे । 13 और यहोवा ने मूसा के कहने के अनुसार किया; और मेंढक घरों, आँगनों, और खेतों में मर गए । 14 और लोगों ने इकट्ठा करके उनके ढेर लगा दिए, और सारा देश दुर्गन्ध से भर गया । 15 परन्तु जब फिरौन ने देखा कि अब आराम मिला है तब यहोवा के कहने के अनुसार उसने फिर अपने मन को कठोर किया, और उनकी न सुनी ।

   जय मसीह की । || कविता पोरिया    

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याकूब की मृत्यु और गाड़ा जाना

मिस्र में इस्राएलियों की दुर्दशा

मूसा का जन्म, पूसा का मिद्यान देश भागना

परमेश्वर द्वारा पूसा का आह्वान ।

मूसा का अद्भुत सामर्थ्य पाना ।

मूसा का मित्र देश लौटना ।

फ़िरौन के सम्मुख मूसा और हारून, परमेश्वर से मूसा की शिकायत ।

मूसा का बुलाया जाना, मूसा और हारून की वंशावली ।

मूसा और हारून को परमेश्वर का आदेश, हारून की लाठी ।

मिस्त्रियों पर दस भारी विपत्तियों के पड़ने का वर्णन ।

कुटकियों के झुण्ड, डांसों के झुण्ड, पशुओं की मौत ।


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