मोआबियों और अम्मोनियों की उत्पत्ति, अब्राहम और अबीमेलेक(Origin of the Moabites and Ammonites, Abraham and Abimelech)
मोआबियों और अम्मोनियों की उत्पत्ति:-
30 फिर लूत ने सोअर को छोड़ दिया, और पहाड़ पर अपनी दोनों बेटियों समेत रहने लगा; क्योंकि वह सोअर में रहने से डरता था; इसलिये वह और उसकी दोनों बेटियाँ वहाँ एक गुफा मे रहने लगे । 31 तब बड़ी बेटी ने छोटी से कहा, "हमारा पिता बूढ़ा है, और पृथ्वी भर में कोई ऐसा पुरुष नहीं जो संसार की रीति के अनुसार हमारे पास आए । 32 इसलिये आ, हम पिता को दाखमधु पिलाकर उसके साथ सोएँ, जिससे कि हम अपने पिता के वंश को बचाए रखें ।'' 33 अतः उन्होंने उसी दिन रात के समय अपने पिता को दाखमधु पिलाया, तब बड़ी बेटी जाकर अपने पिता के पास लेट गई, पर उसने न जाना कि वह कब लेटी और कब उठ गई । 34 और ऐसा हुआ कि दूसरे दिन बड़ी ने छोटी से कहा, "देख, कल रात को मैं अपने पिता के साथ सोई, इसलिये आज भी रात को हम उसको दाखमधु पिलाएँ; तब तू जाकर उसके साथ सोना कि हम अपने पिता के द्वारा वंश उत्पन्न करें । 35 अतः उन्होंने उस दिन भी रात के समय अपने पिता को दाखमधु पिलाया, और छोटी बेटी जाकर उसके पास लेट गई, पर उसको उसके भी सोने और उठने के समय का ज्ञान न था । 36 इस प्रकार से लृत की दोनों बेटियाँ अपने पिता से गर्भवती हुईं । 37 बड़ी एक पुत्र जनी, और उसका नाम मोआब रखा; वह मोआब नामक जाति का जो आज तक है मूलपिता हुआ । 38 और छोटी भी एक पुत्र जनी, और उसका नाम बेनम्मी रखा; वह अम्मोनवंशियों का जो आज तक है मूलपिता हुआ ।
अब्राहम और अबीमेलेक:-
फिर अब्राहम वहाँ से निकल कर दक्खिन देश में आकर कादेश और 20 शूर के बीच में ठहरा, और गरार में रहने लगा । 2 और अब्राहम ने अपनी पत्नी सारा के विषय में कहा, "वह मेरी बहिन है, इसलिये गरार के राजा अबीमेलेक ने दूत भेजकर सारा को बुलवा लिया । 3 रात को परमेश्वर ने स्वप्न में अबी मेलेक के पास आकर कहा, "सुन, जिस स्त्री को तू ने रख लिया है उसके कारण तू मर जाएगा क्योंकि वह सुहागिन है ।" 4 परन्तु अबीमेलेक उस के पास न गया था, इसलिये उसने कहा, "हे प्रभु, क्या तू निर्दोष जाति का भी घात करेगा ? 5 क्या उसी ने स्वयं मुझ से नहीं कहा, 'वह मेरी बहिन है ?" और उस स्त्री ने भी आप कहा, 'वह मेरा भाई है, ' मैं ने तो अपने मन की खराई और अपने व्यवहार की सच्चाई से यह काम किया ।" 6 परमेश्वर ने उससे स्वप्न में कहा, "हाँ, मैं भी जानता हूँ कि अपने मन की खराई से तू ने यह काम किया है, और मैं ने तुझे रोक भी रखा कि तू मेरे विरुद्ध पाप न करे, इसी कारण मैं ने तुझ को उसे छूने नहीं दिया । 7 इसलिये अब उस पुरुष की पत्नी को उसे लौटा दे; क्योंकि वह नबी है, और तेरे लिये प्रार्थना करेगा, और तू जीता रहेगा; पर यदि तू उसको न लौटाए तो जान रख कि तू और तेरे जितने लोग हैं, सब निश्चय तू मर जाएँगे ।" 8 सबेरे अबीमेलेक ने तड़के उठकर अपने सब कर्मचारियों को बुलवाकर ये सब बातें सुनाई; और वे लोग बहुत डर गए। 9 तब अबीमेलेक ने अब्राहम को बुलवाकर कहा, "तू ने हमारे साथ यह क्या किया है ? मैं ने तेरा क्या बिगाड़ा था कि तू ने मेरे और मेरे राज्य के ऊपर ऐसा बड़ा पाप डाल दिया है? तू ने मेरे साथ वह काम किया है जो उचित न था ।” 10 फिर अबीमेलेक ने अब्राहम से पूछा, "तू ने क्या समझकर ऐसा काम किया ? 11 अब्राहम ने कहा, ''मैं ने यह सोचा था कि इस स्थान में परमेश्वर का कुछ भी भय न होगा; इसलिये ये लोग मेरी पत्नी के कारण मुझे घात करेंगे । 12 इसके अतिरिक्त सचमुच वह मेरी बहिन है, वह मेरे पिता की बेटी तो है, पर मेरी माता की बेटी नहीं; फिर वह मेरी पत्नी हो गई । 13 और ऐसा हुआ कि जब परमेश्वर ने मुझे अपने पिता का घर छोड़कर निकलने की आज्ञा दी, तब मैं ने उससे कहा, इतनी कृपा तुझे मुझ पर करनी होगी कि हम दोनों जहाँ-जहाँ जाएँ वहाँ-वहाँ तू मेरे विषय में कहना कि यह मेरा भाई है' ।'' 14 तब अबीमेलेक ने भेड़-बकरी, गाय-बैल, और दास-दासियाँ लेकर अब्राहम को दीं, और उसकी पत्नी सारा को भी उसे लौटा दिया। 15 और अबीमेलेक ने कहा, "देख, मेरा देश तेरे सामने है, जहाँ तुझे भाए वहाँ रह ।” 16 सारा से उसने कहा, “देख, मैं ने तेरे भाई को रूपे के एक हज़ार टुकड़े दिए हैं । देख, तेरे सारे संगियों के सामने वही तेरी आँखों का पर्दा बनेगा, और सभों के सामने तू ठीक होगी ।' 17 तब अब्राहम ने यहोवा से प्रार्थना की, और यहोवा ने अबीमेलेक, और उसकी पत्नी और दासियों को चंगा किया और वे जनने लगीं । 18 क्योंकि यहोवा ने अब्राहम की पत्नी सारा के कारण अबीमेलेक के घर की सब स्त्रियों की कोखों को पूरी रीति से बन्द कर दिया था ।
जय मसीह की । || कविता पोरिया
इसहाक के जन्म की प्रतिज्ञा, सदोम आदि नगरों के विनाश का वर्णन


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