होमबलि का चढ़ाया जाना, परमेश्वर का नूह के साथ वाचा बाँधना, नूह और उसके पुत्र (burnt offering, God's covenant with Noah, Noah and his sons) - YISHU KA SANDESH

होमबलि का चढ़ाया जाना, परमेश्वर का नूह के साथ वाचा बाँधना, नूह और उसके पुत्र (burnt offering, God's covenant with Noah, Noah and his sons)

होमबलि का चढ़ाया जाना:-

                                  20 तब नूह ने यहोवा के लिये एक वेदी बनाई; और सब शुद्ध पशुओं और सब शुद्ध पक्षियों में से कुछ कुछ लेकर वेदी पर होमबलि चढ़ाया। 21 इस पर यहोवा ने सुखदायक सुगन्ध पाकर ने सोचा, "मनुष्य के कारण मैं फिर कभी भूमि को शाप न दूँगा, यद्यपि मनुष्य के मन में बचपन से जो कुछ उत्पन्न होता है वह बुरा ही होता है, तौभी जैसा मैं ने सब जीवों को अब मारा है, वैसा उनको फिर कभी न मारूँगा। 22 अब से जब तक पृथ्वी बनी रहेगी, तब तक बोने और काटने के समय, ठण्ड और तपन, धूपकाल और शीतकाल, दिन और रात, निरन्तर होते चले जाएँगे ।" 


परमेश्वर का नूह के साथ वाचा बाँधना:-

                            फिर परमेश्वर ने नूह और उसके पुत्रों को 9 आशीष दी और उनसे कहा, "फूलो-फलो, और बढ़ो, और पृथ्वी में भर जाओ । * 2 तुम्हारा डर और भय पृथ्वी के सब पशुओं, और आकाश के सब पक्षियों, और भूमि पर के सब रेंगनेवाले जन्तुओं, और समुद्र की सब मछलियों पर बना रहेगा ये सब तुम्हारे वश में कर दिए जाते हैं । 3 सब चलनेवाले जन्तु तुम्हारा आहार होंगे; जैसा तुम को हरे हरे छोटे पेड़ दिए थे, वैसा ही अब सब कुछ देता हूँ । 4 पर मांस को प्राण समेत अर्थात् लहू समेत तुम न खाना । * 5 और निश्चय ही मैं तुम्हारे लहू अर्थात् प्राण का बदला लूँगा : सब पशुओं और मनुष्यों, दोनों से मैं उसे लूँगा; मनुष्य के प्राण का बदला मैं एक एक के भाई बन्धु से लूँगा । 6 जो कोई मनुष्य का लहू बहाएगा । उसका लहू मनुष्य ही से बहाया जाएगा, क्योंकि परमेश्वर ने मनुष्य को अपने ही स्वरूप के अनुसार बनाया है। * 7 और तुम फूलो फलो, और बढ़ो, और पृथ्वी पर बहुतायत से सन्तान उत्पन्न करके उसमें भर जाओ । * 8 फिर परमेश्वर ने नूह और उसके पुत्रों से कहा, 9 "सुनो, मैं तुम्हारे साथ और तुम्हारे पश्चात् जो तुम्हारा वंश होगा, उसके साथ भी वाचा बाँधता हूँ; 10 और सब जीवित प्राणियों से भी जो तुम्हारे संग हैं, क्या पक्षी क्या घरेलू पशु क्या पृथ्वी के सब बनैले पशु, पृथ्वी के जितने जीवजन्तु जहाज से निकले हैं । 11 और मैं तुम्हारे साथ अपनी यह वाचा बाँधता हूँ कि सब प्राणी फिर जल प्रलय से नष्ट न होंगे: और पृथ्वी का नाश करने के लिये फिर जल प्रलय न होगा ।" 12 फिर परमेश्वर ने कहा, "जो वाचा मैं तुम्हारे साथ, और जितने जीवित प्राणी तुम्हारे संग हैं उन सब के साथ भी युग-युग की पीढ़ियों के लिये बाँधता हूँ, उसका यह चिह्न है : 13 मैं ने बादल में अपना धनुष रखा है, वह मेरे और पृथ्वी के बीच में वाचा का चिह्न होगा । 14 और जब मैं पृथ्वी पर बादल फैलाऊँ तब बादल में धनुष दिखाई देगा । 15 तब मेरी जो वाचा तुम्हारे और सब जीवित शरीरधारी प्राणियों के साथ बन्धी है, उसको मैं स्मरण करूंगा, तब ऐसा जल प्रलय फिर न होगा जिससे सब प्राणियों का विनाश हो । 16 बादल में जो धनुष होगा मैं उसे देख के यह सदा की वाचा स्मरण करूंगा, जो परमेश्वर के और पृथ्वी पर के सब जीवित शरीरधारी प्राणियों के बीच बन्धी है ।" 17 फिर परमेश्वर ने नूह से कहा, "जो वाचा मैं ने पृथ्वी भर के सब प्राणियों के साथ बाँधी है, उसका चिह्न यही है ।

नूह और उसके पुत्र:-

                                    18 नूह के पुत्र जो जहाज में से निकले, वे शेम, हाम और येपेत थे; और हाम कनान का पिता हुआ । 19 नूह के तीन पुत्र ये ही हैं, और इनका वंश सारी पृथ्वी पर फैल गया । 20 नूह किसानी करने लगा । उसने दाख की बारी लगाई, 21 और वह दाखमधु पीकर मतवाला हुआ, और अपने तम्बू के भीतर नंगा हो गया । 22 तब कनान के पिता हाम ने अपने पिता को नंगा देखा, और बाहर आकर अपने दोनों भाइयों को बतला दिया । 23 तब शेम और येपेत दोनों ने कपड़ा लेकर अपने कन्धों पर रखा, और पीछे की ओर उलटा चलकर अपने पिता के नंगे तन को ढाँप दिया, और वे अपना मुख पीछे किए हुए थे इसलिये उन्होंने अपने पिता को नंगा न देखा । 24 जब नूह का नशा उतर गया, तब उसने जान लिया कि उसके छोटे पुत्र ने उसके साथ क्या किया है । 

25 इसलिये उसने कहा,  

"कनान शापित हो :

वह अपने भाई बन्धुओं के दासो का दास हो ।

26 फिर उसने कहा,

"शेम का परमेश्वर यहोवा धन्य है,

और कनान शेम* का दास हो ।

27 परमेश्वर येपेत के वंश को फैलाए; का और वह शेम के तम्बुओं में बसे, डीके और कनान उसका दास हो ।"

28 जल-प्रलय के पश्चात् नूह साढ़े तीन सौ वर्ष जीवित रहा । 29 इस प्रकार नूह की कुल आयु साढ़े नौ सौ वर्ष की हुई; तत्पश्चात् वह मर गया ।

जय मसीह की || कविता पोरिया 

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