फ़िरौन के सम्मुख मूसा और हारून, परमेश्वर से मूसा की शिकायत (Moses and Aaron before Pharaoh, Moses' complaint to God) - YISHU KA SANDESH

फ़िरौन के सम्मुख मूसा और हारून, परमेश्वर से मूसा की शिकायत (Moses and Aaron before Pharaoh, Moses' complaint to God)

फ़िरौन के सम्मुख मूसा और हारून:- 

                          1 इसके पश्चात् मूसा और हारून ने जाकर फ़िरौन से कहा, "इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यों कहता है : 'मेरी प्रजा के लोगों को जाने दे कि वे जंगल में मेरे लिये पर्व करें ।" 2 फ़िरौन ने कहा, “यहोवा कौन है कि मैं उसका वचन मानकर इस्राएलियों को जाने दूँ? मैं यहोवा को नहीं जानता, और मैं इस्राएलियों को नहीं जाने दूँगा ।" 3 उन्होंने कहा, "इब्रियों के परमेश्वर ने हम से भेंट की है; इसलिये हमें जंगल में तीन दिन के मार्ग पर जाने दे, कि अपने परमेश्वर यहोवा के लिये बलिदान करें, ऐसा न हो कि वह हम में मरी फैलाए या तलवार चलवाए ।” 4 मिस्र के राजा ने उनसे कहा, "हे मूसा, हे हे हारून, तुम क्यों लोगों से काम छुड़वाना चाहते हो ? तुम जाकर अपना-अपना बोझ उठाओ ।" 5 और फिरौन ने कहा, "सुनो, इस देश में वे लोग बहुत हो गए हैं, फिर तुम उनको परिश्रम से विश्राम दिलाना चाहते हो !" 6 फ़िरीन ने उसी दिन उन परिश्रम करवानेवालों को जो उन लोगों के ऊपर थे, और उनके सरदारों को यह आता दी, 7 "तुम जो अब तक ईट बनाने के लिये लोगों को पुआल दिया करते थे, वह आगे को न देना; वे आप ही जाकर अपने लिये पुआल इकड्डा करें । 8 तौभी जितनी ईंटें अब तक उन्हें बनानी पड़ती थीं उतनी ही आगे को भी उनसे बनवाना, ईटों की गिनती कुछ भी न घटाना, क्योंकि वे आलसी हैं, इस कारण यह कहकर चिल्लाते हैं, 'हम जाकर अपने परमेश्वर के लिये बलिदान करें । 9 उन मनुष्यों से और भी कठिन सेवा करवाई जाए कि वे उस में परिश्रम करते रहें और झूठी बातों पर ध्यान न लगाएँ ।" 10 तब लोगों के परिश्रम करानेवालों ने और सरदारों ने बाहर जाकर उनसे कहा, "फिरौन इस प्रकार कहता है, मैं तुम्हें पुआल नहीं दूंगा । 11 तुम ही जाकर जहाँ कहीं पुआल मिले वहाँ से उसको बटोर कर ले आओ; परन्तु तुम्हारा काम कुछ भी नहीं घटाया जाएगा ।"


12 इसलिये वे लोग सारे मिस्र देश में तितर-बितर हुए कि पुआल के बदले खूँटी बटोरें । 13 परिश्रम करानेवाले यह कह कहकर उनसे जल्दी करते रहे, कि जिस प्रकार तुम पुआल पाकर किया करते थे उसी प्रकार अपना प्रतिदिन का काम अब भी पूरा करो 14 और इस्राएलियों में से जिन सरदारों को फिरौन के परिश्रम करानेवालों ने उनका अधिकारी ठहराया था, उन्होंने मार खाई और उनसे पूछा गया, "क्या कारण है कि तुम ने अपनी ठहराई हुई ईंटों की गिनती के अनुसार पहले के समान कल और आज पूरी नहीं कराई ?" 15 तब इस्राएलियों के सरदारों ने जाकर फिरौन की दोहाई यह कहकर दी, तू अपने दासों से ऐसा बर्ताव क्यों करता है? 16 तेरे दासों को पुआल तो दिया ही नहीं जाता और वे हम से कहते रहते हैं, 'इंटे बनाओ, ईंटें बनाओ, और तेरे दासों ने भी मार खाई है; परन्तु दोष तेरे ही लोगों का है ।" 17 फ़िरौन ने कहा, "तुम आलसी हो, आलसी, इसी कारण कहते हो कि हमें यहोवा के लिये बलिदान करने को जाने दे । 18 अब जाकर अपना काम करो, और पुआल तुम को नहीं दिया जाएगा, परन्तु ईंटों की गिनती पूरी करनी पड़ेगी ।" 19 जब इस्राएलियों के सरदारों ने यह बात सुनी कि उनकी ईंटों की गिनती न घटेगी, और प्रतिदिन उतना ही काम पूरा करना पड़ेगा, तब वे जान गए कि उनके संकट के दिन आ गए हैं । 20 जब वे फिरौन के सम्मुख से बाहर निकल आए तब मूसा और हारून, जो उनसे भेंट करने के लिये खड़े थे, उन्हें मिले; 21 और उन्होंने मूसा और हारून से कहा, “यहोवा तुम पर दृष्टि करके न्याय करे, क्योंकि तुम ने हम को फिरौन और उसके कर्मचारियों की दृष्टि में घृणित ठहराकर हमें घात करने के लिये उनके हाथ में तलवार दे दी है ।

परमेश्वर से मूसा की शिकायत:-

                             22 तब मूसा ने यहोवा के पास लौटकर कहा, "हे प्रभु, तू ने इस प्रजा के साथ ऐसी बुराई क्यों की ? और तू ने मुझे यहाँ क्यों भेजा ? 23 जब से मैं तेरे नाम से फिरौन के पास बातें करने के लिये गया तब से उसने इस प्रजा के साथ बुरा ही व्यवहार किया है, और तू ने अपनी प्रजा का कुछ भी छुटकारा नहीं किया ।" तब यहोवा ने मूसा से कहा, "अब तू देखेगा कि मैं फिरौन से क्या करूंगा, जिससे वह उनको बरबस निकालेगा, वह तो उन्हें अपने देश से बरबस निकाल देगा ।"

    जय मसीह की । कविता पोरिया    

Read this also

परमेश्वर की ओर से अब्राम के बुलाए जाने का वर्णन:

इसहाक के जन्म की प्रतिज्ञा, सदोम आदि नगरों के विनाश का वर्णन


अब्राहम के परीक्षा में पड़ने का वर्णन, नाहोर के वंशज

सारा की मृत्यु और अन्तक्रिया का वर्णन

इसहाक के विवाह का वर्णन

इसहाक का गरार में निवास, इसहाक और अबीमेलेक के बीच सन्धि



याकूब की सन्तान

याकूब का मल्लयुद्ध, याकूब और एसाव का मिलन

दीना को भ्रष्ट किया जाना

बेतेल में याकूब को आशीष मिलना, राहेल की मृत्यु, याकूब के पुत्र, इसहाक की मृत्यु



बन्दियों के स्वप्नों का अर्थ बताना


बिन्यामीन के साथ मिस्त्र देश जाना



याकूब और उसका परिवार मिस्र में

याकूब का एप्रैम और मनश्शे को आशीर्वाद देना

याकूब की मृत्यु और गाड़ा जाना

मिस्र में इस्राएलियों की दुर्दशा

मूसा का जन्म, पूसा का मिद्यान देश भागना

परमेश्वर द्वारा पूसा का आह्वान ।

मूसा का अद्भुत सामर्थ्य पाना ।

मूसा का मित्र देश लौटना ।

फ़िरौन के सम्मुख मूसा और हारून, परमेश्वर से मूसा की शिकायत ।

मूसा का बुलाया जाना, मूसा और हारून की वंशावली ।

कोई टिप्पणी नहीं

If you have any doubt, please let me know.

कमजोरी ही शक्ति ।

कमजोरी ही शक्ति:- =================================                         वो बड़े इत्मीनान से गुरु के सामने खड़ा था । गुरु अपनी पारखी नजर ...

Blogger द्वारा संचालित.