आदम की वंशावली (Adam's lineage) - YISHU KA SANDESH

आदम की वंशावली (Adam's lineage)

आदम की वंशावली (1 इति 1:1-4):-

                             5 आदम की वंशावली यह है । जब परमेश्वर ने मनुष्य की सृष्टि की तब अपने ही स्वरूप में उसको बनाया । * 2 उसने नर और नारी करके मनुष्यों की सृष्टि की और उन्हें आशीष दी, और उनकी सृष्टि के दिन उनका नाम आदम रखा । * 3 जब आदम एक सौ तीस वर्ष का हुआ, तब उसके द्वारा उसकी समानता में उस ही के स्वरूप के अनुसार एक पुत्र उत्पन्न हुआ । उसने उसका नाम शेत रखा । 4 शेत के जन्म के पश्चात् आदम आठ सौ वर्ष जीवित रहा, और उसके और भी बेटियाँ उत्पन्न हुई । 23 इस प्रकार हनोक को कुल आयु तीन सौ पैंसठ वर्ष की हुई । 24 हनोक परमेश्वर के साथ साथ चलता था फिर वह लोप हो गया क्योंकि परमेश्वर ने उसे उठा लिया ।' 25 जब मतूशेलह एक सौ सत्तासी वर्ष का हुआ, तब उससे लेमेक का जन्म हुआ । 26 लेमेक के जन्म के पश्चात् मतूशेलह सात सौ बयासी वर्ष जीवित रहा, और उसके और भी बेटे बेटियाँ उत्पन्न हुई । 27 इस प्रकार मतूशेलह की कुल आयु नौ सौ उनहत्तर वर्ष की हुई, तत्पश्चात् वह मर गया । 28 जब लेमेक एक सौ बयासी वर्ष का हुआ, तब उससे एक पुत्र का जन्म हुआ । 29 उसने यह कहकर उसका नाम नूह रखा, “यहोवा ने जो पृथ्वी को शाप दिया है, उसके विषय यह लड़का हमारे काम में, और उस कठिन परिश्रम में जो हम करते हैं, ' हम को शान्ति देगा ।" 30 नूह के जन्म के पश्चात् लेमेक पाँच सौ पंचानबे वर्ष जीवित रहा, और उसके और भी बेटे बेटियाँ उत्पन्न हुई । 31 इस प्रकार लेमेक की कुल आयु सात सौ सतहत्तर वर्ष की हुई; तत्पश्चात् वह मर गया । 32 और नूह पाँच सौ वर्ष का हुआ; और नूह से शेम, और हाम, और येपेत का जन्म हुआ । 

Jai Masih ki

मनुष्य जाति की दुष्टता:-

                          6 फिर जब मनुष्य भूमि के ऊपर बहुत बढ़ने लगे, और उनके बेटियाँ उत्पन्न हुई, 2 तब परमेश्वर के पुत्रों ने मनुष्य की पुत्रियों को देखा, कि वे सुन्दर हैं, और उन्होंने जिस जिसको चाहा उनसे विवाह कर लिया । 3 तब यहोवा ने कहा, 'मेरा आत्मा मनुष्य से सदा लों विवाद करता न रहेगा, क्योंकि मनुष्य भी शरीर ही है, उसकी आयु एक सौ बीस वर्ष की होगी । 4 उन दिनों में पृथ्वी पर दानव रहते थे, और इसके पश्चात् जब परमेश्वर के पुत्र मनुष्य की पुत्रियों के पास गए तब उनके द्वारा जो पुत्र उत्पन्न हुए वे शूरवीर होते थे, जिनकी कीर्ति प्राचीनकाल से प्रचलित है । 5 यहोवा ने देखा कि मनुष्यों की बुराई पृथ्वी पर बढ़ गई है, और उनके मन के विचार में जो कुछ उत्पन्न होता है वह निरन्तर बुरा ही होता है । 6 और यहोवा पृथ्वी पर मनुष्य को बनाने से पछताया, और वह मन में अति खेदित हुआ । 17 तब यहोवा ने कहा, “मैं मनुष्य को जिसकी मैं ने सृष्टि की है पृथ्वी के ऊपर से मिटा दूंगा; क्या मनुष्य, क्या पशु, क्या रेंगनेवाले जन्तु, क्या आकाश के पक्षी, सब को मिटा दूंगा, क्योंकि मैं उनके बनाने से पछताता हूँ ।" 8 परन्तु यहोवा के अनुग्रह की दृष्टि नूह पर बनी रही । *

                           नूह (Nuh)

9 नूह की वंशावली यह है । नूह धर्मी पुरुष और अपने समय के लोगों में खरा था; और नूह परमेश्वर ही के साथ साथ चलता रहा । * 10 और नूह से शेम, और हाम, और येपेत नामक तीन पुत्र उत्पन्न हुए । 11 उस समय पृथ्वी परमेश्वर की दृष्टि में बिगड़ गई थी, और उपद्रव से भर गई थी । 12 और परमेश्वर ने पृथ्वी पर जो दृष्टि की तो क्या देखा कि वह बिगड़ी हुई है, क्योंकि सब प्राणियों ने पृथ्वी पर अपना अपना चाल-चलन बिगाड़ लिया था । 13 तब परमेश्वर ने नूह से कहा, "सब प्राणियों के अन्त करने का प्रश्न मेरे सामने आ गया है *; क्योंकि उनके कारण पृथ्वी उपद्रव से भर गई है, इसलिये मैं उनको पृथ्वी समेत नष्ट कर डालूँगा । 14 इसलिये तू गोपेर वृक्ष की लकड़ी का एक जहाज बना ले, उसमें कोठरियाँ बनाना, और भीतर-बाहर उस पर राल लगाना । 15 इस ढंग से तू उसको बनाना : जहाज की लम्बाई तीन सौ हाथ, चौड़ाई पचास हाथ, और ऊँचाई तीस हाथ की हो। 16 जहाज में एक खिड़की बनाना, और उसके एक हाथ ऊपर से इसकी छत बनाना, और जहाज की एक ओर एक द्वार रखना; और जहाज में पहला, दूसरा, तीसरा खण्ड बनाना । 17 और सुन, मैं आप पृथ्वी पर जल-प्रलय करके सब प्राणियों को, जिनमें जीवन का प्राण है, आकाश के नीचे से नष्ट करने पर हूँ; और सब जो पृथ्वी पर हैं मर जाएँगे । 18 परन्तु तेरे संग मैं वाचा बाँधता हूँ, इसलिये तू अपने पुत्रों, स्त्री, और बहुओं समेत जहाज में प्रवेश करना । 19 और सब जीवित प्राणियों में से तू एक एक जाति के दो दो, अर्थात् एक नर और एक मादा जहाज में ले जाकर, अपने साथ जीवित रखना । 20 एक एक जाति के पक्षी, और एक एक जाति के पशु, और एक एक जाति के भूमि पर रेंगनेवाले, सब में से दो दो तेरे पास आएँगे, कि तू उनको जीवित रखे । 21 और भाँति भाँति का भोज्य पदार्थ जो खाया जाता है, उनको तू लेकर अपने पास इकट्ठा कर रखना, जो तेरे और उनके भोजन के लिये होगा ।" 22 परमेश्वर की इस आज्ञा के अनुसार नूह ने किया ।

Jai Masih ki


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