राजा और वृद्ध । - YISHU KA SANDESH

राजा और वृद्ध ।

  राजा और वृद्ध 

ठण्ड का मौसम था । शीतलहर पूरे राज्य में बह रही थी । कड़ाके की ठण्ड में भी उस दिन राजा (King) सदा की तरह अपनी प्रजा का हाल जानने भ्रमण पर निकला था ।

महल वापस आने पर उसने देखा कि महल के मुख्य द्वार के पास एक वृद्ध (Old Man) बैठा हुआ है । पतली धोती और कुर्ता पहने वह वृद्ध ठण्ड से कांप रहा था । कड़ाके की ठण्ड में उस वृद्ध को बिना गर्म कपड़ों के देख राजा चकित रह गया ।


उसके पास जाकर राजा ने पूछा, “क्या तुम्हें ठण्ड नहीं लग रही?”

“लग रही है, पर क्या करूं? मेरे पास गर्म कपड़े नहीं है । इतने वर्षों से कड़कड़ाती ठण्ड मैं यूं ही बिना गर्म कपड़ों के गुज़ार रहा हूँ । भगवान मुझे इतनी शक्ति दे देता है कि मैं ऐसी ठण्ड सह सकूं और उसमें जी सकूं ।” वृद्ध ने उत्तर दिया।।

राजा को वृद्ध पर दया आ गई । उसने उससे कहा, “तुम यहीं रुको । मैं अंदर जाकर तुम्हारे लिए गर्म कपड़े भिजवाता हूँ ।” वद्ध प्रसन्न हो गया । उसने राजा को कोटि-कोटि धन्यवाद दिया ।

वृद्ध को आश्वासन देकर राजा महल के भीतर चला गया । किंतु महल के भीतर जाकर वह अन्य कार्यों में व्यस्त हो गया और वृद्ध के लिए गर्म कपड़े भिजवाना भूल गया ।


अगली सुबह एक सिपाही ने आकर राजा को सूचना दी कि महल के बाहर एक वृद्ध मृत पड़ा है । उसके मृत शरीर के पास ज़मीन पर एक संदेश लिखा हुआ है, जो वृद्ध ने अपनी मृत्यु के पूर्व लिखा था ।

संदेश यह था:- “इतने वर्षों से मैं पतली धोता-कुर्ता पहने ही कड़ाके की ठण्ड सहते हुए जी रहा था. किंतु कल रात गर्म वस्त्र देने के तुम्हारे वचन ने मेरी जान ले ली ।"

सीख:- 

दूसरों से की गई अपेक्षायें अक्सर हमें उन पर निर्भर बना देती है, जो कहीं न कहीं हमारी दुर्बलता का कारण बनती है । इसलिए, अपनी अपेक्षाओं के लिए दूसरों पर निर्भर रहने के स्थान पर स्वयं को सबल बनाने का प्रयास करना चाहिए ।

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