भगवान पर भरोसा रखें ।
भगवान पर भरोसा रखें
एक आदमी रेगिस्तान में भटक रहा था. आधा दिन निकल चुका था और रास्ते का कुछ पता नहीं था. वह समझ नहीं पा रहा था कि किस तरह उस रेगिस्तान से बाहर निकले. उसका खाने-पीने का सारा सामान ख़त्म हो गया था. प्यास से गला सूखा जा रहा था. लेकिन पानी का दूर-दूर तक कोई नामो-निशान नहीं था.
थोड़ी दूर और चलने पर उसे एक झोपड़ी दिखाई पड़ी. वह इस आशा में झोपड़ी की ओर चल पड़ा कि वहाँ उसे पानी अवश्य मिल जायेगा और वह वहाँ रहने वालों से रेगिस्तान से बाहर निकलने का रास्ता भी पूछ लेगा.
लेकिन झोपड़ी के पास पहुँचकर वह निराश हो गया. झोपड़ी खाली पड़ी थी. वहाँ कोई नहीं था. लेकिन उसके बाद भी उसने भगवान पर भरोसा रखा और झोपड़ी के अंदर गया.
झोपड़ी के अंदर एक हैण्डपंप लगा हुआ पाया. वह खुश हो गया कि अब वह अपनी प्यास बुझा सकता है. उसने भगवान को धन्यवाद दिया और हैण्डपंप चलाने लगा. लेकिन काफी प्रयास करने के बाद भी हैण्डपंप नहीं चला.
वह थक कर चूर हो चुका था. वह जमीन पर लेट गया. पानी के बिना उसे अपनी ज़िंदगी खत्म होती नज़र आने लगी थी. तभी उसे झोपड़ी की छत पर पानी की एक बोतल लटकी हुई दिखाई पड़ी और उसकी जान में जान आ गई.
उसने सोचा कि ये भगवान की कृपा है कि पानी की ये बोतल उसे दिख गई. अब वह अपनी प्यास बुझा सकता है. उसने पानी की बोतल नीचे उतारी. लेकिन जैसे ही वह पानी पीने को हुआ, उसकी नज़र बोतल के नीचे चिपके कागज पर पड़ी.
उस कागज पर लिखा था, इस पानी का इस्तेमाल हैण्डपंप चलाने के लिए लिए करें. जब हैण्डपंप चल जाए, तो पानी पी ले और फिर से इस बोतल में पानी भरकर वापस वही लटका दें, जहाँ से आपने इसे उतारा था.
कागज पर लिखे संदेश को पढ़कर आदमी सोच में पड़ गया कि क्या करें? यदि पानी हैण्डपंप में डाला और वह नहीं चला तो? सही तो यह होगा कि बोतल का पानी पीकर वहाँ से आगे बढ़ा जाए.
वह दुविधा में पड़ चुका था. लेकिन अंत में उसने ऊपर वाले को याद किया और कागज पर लिखे संदेश पर भरोसा करने का निर्णय लिया. उसने बोतल का पानी हैण्डपंप में डाल दिया और हैण्डपंप चलाने की कोशिश करने लगा.
१, २ प्रयास में हैण्डपंप चल गया और उसमें से ठंडा-ठंडा पानी आने लगा. आदमी ने पानी पीकर अपनी प्यास बुझाई और बोतल में पानी भरकर उसे वापस उसी जगह लटका दिया, जहाँ से उसने उसे उतारा था.
वह वहाँ से निकल ही रहा था कि झोपड़ी से एक कोने में उसे एक नक्शा और पेंसिल का टुकड़ा मिला. उस नक़्शे में रेगिस्तान से बाहर निकलने का रास्ता बना हुआ था.
आदमी खुश हो गया और भगवान का लाख-लाख धन्यवाद दिया. वह नक्शा लेकर बाहर निकल गया. लेकिन कुछ दूर चलने के बाद वह रुका और वापस झोपड़ी में आया. उसने पानी की बोतल के नीचे लगे कागज पर पेंसिल से लिखा – यकीन मानिये ये काम करता है.
सीख:-
जब भी ज़िंदगी में बुरा वक़्त या परिस्थिति आये, भगवान और खुद पर विश्वास रखें. विश्वास बहुत बड़ी चीज़ होती है. विश्वास है, तो दुनिया में हर चीज़ संभव है.
बिना प्रयास के ज़िंदगी में कुछ भी हासिल नहीं होता. जैसे उस आदमी ने हैण्डपंप में पानी डाला और उसे चलाया, तब कहीं जाकर उसे अपने प्रयास का फल पानी के रूप में नसीब हुआ. उसी प्रकार ज़िंदगी में कुछ करना है, तो प्रयास करने पड़ेंगे. प्रयास करेंगे, तो सफ़लता अवश्य मिलेगी.
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